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तालिबान का नया पैतरा, महाशक्तियों से सीधा पंगा नहीं

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जो लोग समझते हैं कि तालिबान अपने आका यानी इमरान खान के कहने पर चीन की गोद में बैठ जाएगा, वे गलत भी हो सकते हैं। तालिबान का ध्यान इस समय अफगानिस्तान की सत्ता में बड़ी भागीदारी पाने पर है। इसके लिए वह नए पैतरे और रणनीति पर काम कर रहा है। तालिबान के शीर्ष नेता भले ही अपने आका के कहने पर चीन की सीमा में जाकर वहां के विदेशमंत्री से मिले, लेकिन कतर में उनका आफिस लगातार शांति वार्ता शुरू करने के लिए काम कर रहा है। तालिबान तीन ओर से दांव चल रहा है। एक तो अफगानिस्तान के बड़े शहर कंधार पर कब्जा कर वह दुनिया को अपनी ताकत दिखाना चाह रहा है। दूसरी ओर, अपने आका इमरान के कहने पर चीन के नेताओं से बातचीत कर रहा है। तीसरी ओर, अमेरिका को बातचीत में शामिल होने का आश्वासन देकर वह महाशक्ति से सीधा पंगा भी नहीं ले रहा। जानकार कहते हैं कि अमेरिका के इशारे पर ही तालिबान अफगानिस्तान में काम कर रही भारतीय कंपनियों और उनके कामगारों को सीधे निशाना नहीं बना रहा है। शायद यही उनके आकाओं को अब खलने लगा है।

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