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अपनी छोरियां तो हॉकी की जादूगर हैं

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लखनऊ, शाहजहांपुर की लड़कियों ने भारतीय महिला हॉकी को दिलाया नया मुकाम

किसी ने लखनऊ के केडी सिंह बाबू स्टेडियम में फ्लिक और गोल करने में महारत हासिल की है। कोई शाहजहांपुर जैसे छोटे शहरों से साई ट्रेनिंग सेंटर तक पहुंचा है। लेकिन, इन्हीं लड़कियों ने भारतीय महिला हाकी टीम को ओलंपिक के क्वार्टर फाइनल में पहुंचा दिया। भारतीय महिला हाकी को ये गौरव 41 साल के इंतजार के बाद मिला है।

बात वंदना कटारिया की। इस होनहार ने हॉकी के गुर लखनऊ के केडी सिंह बाबू स्टेडियम में सीखे। लखलऊ के स्टेडियम की हॉकी कोच पूनमलता ने मीडिया को जो कुछ बताया वह वंदना के दृढ़ निश्चय को बताती है। 2016 में जब भारतीय महिला हॉकी टीम आखिरी पायदान पर आई थी, तभी से वंदना ने टोक्यो ओलंपिक में कुछ करने की ठान ली थी। इसी का नतीजा है कि आखिरी ग्रुप मैच में जब भारतीय टीम ने दक्षिण अफ्रीका को 4-3 से शिकस्त दी तो उसमें तीन गोल अकेले वंदना के थे। और इसी के साथ ओलंपिक में हैट्रिक जमाने वाली पहली भारतीय महिला खिलाड़ी का तमगा वंदना कटारिया की झोली में आ गया। इसी तरह टीम में शाहजहांपुर और हरियाणा के हिसार जैसे शहरों से निकली लड़कियां भारतीय महिला हॉकी टीम को नए मुकाम पर पहुंचा रही हैं। कप्तान रानी रामपाल तो पहले ही हॉकी को अपना करियर चुनने वाली लड़कियों के लिए मिसाल बन चुकी हैं।

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