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2006 पेपर लीक केस में जारी गिरफ्तारी वारंट निरस्त, आरोपी हैं विधायक बेदीराम और विपुल दुबे

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ये गैर जमानती वारंट रेलवे भर्ती ग्रुप डी की परीक्षा का पेपर लीक करने के मामले में जारी किया गया था. आरोपियों की ओर से 50-50 हजार के निजी मुचलके पर कोर्ट ने वारंट को निरस्त कर दिया. अदालत ने आरोपियों को 26 जुलाई को सुनवाई पर व्यक्तिगत रूप से उपस्थित रहने के निर्देश दिए हैं

विधायक विपुल दुबे और बेदीराम के खिलाफ जारी गैर जमानती वारंट निरस्त

2006 के पेपर लीक मामले में उत्तर प्रदेश में सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के विधायक बेदीराम और निषाद पार्टी के विधायक विपुल दुबे समेत 8 के खिलाफ जारी गिरफ्तारी वारंट को निरस्त कर दिया गया है. गैंगस्टर कोर्ट के विशेष न्यायाधीश ने इस गिरफ्तारी वारंट को निरस्त कर दिया है.

ये गैर जमानती वारंट रेलवे भर्ती ग्रुप डी की परीक्षा का पेपर लीक करने के मामले में जारी किया गया था. आरोपियों की ओर से 50-50 हजार के निजी मुचलके पर कोर्ट ने वारंट को निरस्त कर दिया. अदालत ने आरोपियों को 26 जुलाई को सुनवाई पर व्यक्तिगत रूप से उपस्थित रहने के निर्देश दिए हैं.

बेदीराम ओमप्रकाश राजभर की पार्टी के ऐसे विधायक हैं, जिन पर अगर 9 मामले दर्ज हैं, तो उसमें से 8 पेपर लीक से जुड़े हैं. 26 फरवरी 2006 को यूपी में रेलव भर्ती बोर्ड की तरफ से समूह ‘घ’ की परीक्षा हुई थी.

यूपी एसटीएफ को खबर मिली कि कुछ लोग एक घर में लीक पेपर याद करा रहे हैं. यूपी एसटीएफ को छापेमारी में जो पेपर मिला, वही भर्ती परीक्षा में आया था. 16 लाख परीक्षार्थी इस भर्ती परीक्षा में बैठे थे, जिसे 18 साल पहले रद्द कर दिया गया था.

विधायक बन गए पेपर लीक के आरोपी

2006 पेपर लीक के आरोपियों को अभी तक कोर्ट से सजा नहीं मिल पाई, बल्कि वो उत्तर प्रदेश में विधायक तक बन गए हैं. बेदीराम और विपुल दुबे इसकी गवाही हैं. एसटीएफ के तत्कालीन अधिकारी राजेश पांडेय ने कहा कि बेदीराम जो मुख्य सरगना था, वो तब पकड़ा गया था.

राजभर की पार्टी के विधायक बेदीराम का कहना है कि केस पुराने हैं. नया कुछ भी नहीं. वहीं संजय निषाद की पार्टी के विधायक विपुल दुबे कहते हैं कि 18 साल पहले कुछ गलतियां हुई थीं, लेकिन अब वो पाक साफ हैं.

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