हरदोई। मेडिकल कॉलेज की महिला चिकित्सालय के एसएनसीयू वार्ड में भर्ती बच्चों में जन्म लेते ही संक्रमण का खतरा मंडरा रहा है।
माता-पिता नवजात बच्चों को स्वास्थ्य में सुधार के उद्देशय से वार्ड में भर्ती कराते हैं, लेकिन वार्मर बेड कम होने से एक ही बेड पर दो बच्चे भर्ती हैं। जिम्मेदार जानकार भी वार्मर बेड बढ़ाने के लिए कोई कदम नहीं उठा रहे हैं।
मेडिकल कॉलेज से संबद्ध महिला चिकित्सालय में स्पेशल न्यू बॉर्न वार्ड (एसएनसीयू) समय में पहले जन्मे (प्री-मैच्योर) बच्चों के लिए संचालित करा गया है। नवजात से लेकर एक माह तक के बच्चों जो समय से पहले जन्मे, कम वजन, पीलिया आदि बीमारियों से ग्रसित हैं, ऐसे शिशुओं का उपचार एसएनसीयू यूनिट में किया जाता है।
बच्चे जिनका वजन जन्म के समय दो किलो से कम रहता है, प्री मैच्योर बच्चे को बेबी वार्मर मशीन में रखा जाता है, लेकिन इन दिनों एसएनसीयू वार्ड में क्षमता से अधिक नवजात बच्चे भर्ती हैं। ऐसे में एक बेड (वार्मर) पर एक साथ दो नवजात बच्चों को लिटाकर इलाज देना पड़ा रहा है।
इससे बच्चों में संक्रमण का खतरा है। बच्चों को लेकर बरती जा रही लापरवाही पर अस्पताल प्रबंधन की ओर से बेड बढ़ाने को लेकर कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है।
वहीं, एसएनसीयू में वर्तमान में 12 वार्मर बेड हैं और सभी चल रहे हैं, रोज प्री-मैच्योर बच्चे भी जन्म ले रहे हैं। ऐसे में वार्ड में 21 बच्चे भर्तीं हैं। सभी वार्मर बेड पर एक साथ दो बच्चे भर्ती हैं।
बेड बढ़ाने के लिए प्रस्ताव तो मेडिकल कॉलेज से जाएगा लेकिन अब बच्चे आएंगे तो उन्हें भर्ती करना पड़ता है। स्टाफ इस बात का ध्यान रखता है कि किसी बच्चे को कोई बीमारी न हो।
-डॉ. सुबोध, मुख्य चिकित्सा अधीक्षक