रामपुर मथुरा (सीतापुर)। सरयू नदी का पानी घटने पर भी तटवर्ती क्षेत्र के लोगों की मुसीबतें बढ़ गई हैं। कटान तेज होने से परमगोंडा, शंकरपुरवा व शुकुलपुरवा गांवों के लोग काफी भयभीत हैं। परम गोंडा में कटान करती हुई नदी की धारा आबादी के बेहद करीब पहुंच गई है। पिछले 24 घंटे में 23 बीघा खेत कटान की भेंट चढ़ गए हैं। उधर, बैराजों से सोमवार को दो लाख 64 हजार 37 क्यूसेक पानी फिर छोड़ा गया है।
परमगोंडा में कटान काफी तेज है। यहां पिछले 24 घंटे में रामविजय की ढाई बीघा, रामपाल की तीन बीघा, नंद किशोर की दो बीघा, जगतराम की सात बीघा, मायावती की साढ़े तीन बीघा, राम बरन की दो बीघा व रामतेज की तीन बीघा धान की फसल समेत खेती कटकर नदी में समा गई है। बृजेश का मकान कटान के मुहाने पर आ गया है। धारा महज पांच मीटर दूर बची है। इसी तरह राजेश, रामपाल, शिव कुमार, राम विजय, नंदकिशोर के घर भी लहरों के निशाने पर हैं। नदी कटान करती हुई इनके घरों की ओर बढ़ रही है।
शिव कुमार ने बताया कि हम लोग कटान के डर से गृहस्थी समेटकर लालपुर करौता में सड़क के किनारे तंबू बनाकर रह रहे हैं। तहसील प्रसाशन की ओर से हम लोगों को कहीं बसने के लिए भूमि नहीं दी गई है। जीविका चलाने के लिए दो माह में केवल एक बार राशन किट दी गई है। रामपाल ने बताया कि बाढ़ के समय गंगाराम के खेत के पास 20 मीटर चौड़ी सड़क कट गई थी। जिससे गांव का आवागमन बाधित है। कटान होता देख गृहस्थी का सामान सिर पर उठाकर उसी कटे हुए नाले में से जान जोखिम में डालकर जाना पड़ रहा है।
महमूदाबाद के तहसीलदार अनिल कुमार ने बताया कि कटान पीड़ितों को मुआवजा या आवासीय जमीन दोनों में से एक ही लाभ दिया जा सकता है। भूमि कटान के मुआवजे के लिए प्रक्रिया चल रही है।