रामपुर मथुरा (सीतापुर)। सरयू नदी का पानी बढ़ने के साथ ही बाढ़ पीड़ितों की धुकधुकी बढ़ने लगी है। रामपुर मथुरा इलाके में शुक्रवार को सरयू का जलस्तर करीब 15 सेंटीमीटर बढ़ गया। सरयू नदी का जलस्तर 117.50 मीटर पहुंच गया। पानी बढ़ने के साथ पीड़ित लोग फिर से तटबंध की शरण लेने को विवश दिखे।
पहाड़ों पर हो रही बारिश व बैराजों से छोड़े गए पानी के कारण नदियों में फिर पानी बढ़ने लगा है। पिछले कई दिनों से लगातार सरयू नदी का पानी घटने से बाढ़ पीड़ितों के चेहरे पर मुस्कान आ गई थी। अब एकाएक शुक्रवार को सरयू नदी का जलस्तर करीब 15 सेमी. बढ़ गया।
हालांकि नदी खतरे के निशान 119 मीटर से दूर है। फिर भी पानी बढ़ने से लोग चिंतित हैं। क्षेत्र में नदी की तलहटी में बसे करीब 15 गांव बाढ़ की चपेट में आ गए थे। यहां धीरे-धीरे जिंदगी पटरी पर लौट रही थी लेकिन फिर से पानी बढ़ने के कारण लोग फिर से तटबंध पर शरण लेने को विवश हैं।
कीचड़ में गुम हो गए रास्ते, पशुओं के चारे का हुआ संकट
पानी घटने के साथ ही कीचड़ हो गया है। रास्ते गुम हो गए हैं। लोग एक जगह से दूसरी जगह जा नहीं पा रहे हैं। सबसे अधिक दिक्कत पशुओं के चारे को लेकर आ रही है। कई दिनों तक खेत में पानी भरने से चारा सड़ गया है। अब धूप निकल रही है तो यह बेकार हो गया है। इसके चलते लोगों के सामने पशुओं को चारा का इंतजाम करना बहुत ही मुश्किल हो रहा है। वहीं तटबंध पर रहने वाले परिवार बाढ़ के चलते सुरक्षित स्थान पर चले गए थे।
रामपुर मथुरा के चहलारी घाट के गनेशपुर तटबंध पर अस्थायी आशियाना बनाकर रहने लगे हैं। लेकिन इस तटबंध पर खाने पीने का इंतजाम, बिजली, पानी सहित तमाम समस्याएं उनके सामने खड़ी हो गई है। सूखी लकड़ियां न मिलने से उन्हें भोजन पकाने में जद्दोजहद करनी पड़ रही है। गजराज व भूषण ने बताया कि पशुओं के चारे के लिए बहुत दूर जाना पड़ रहा है। आस-पड़ोस के खेतों में पानी भरने से अब चारा नहीं बचा है। गीली लकड़ियों से खाना बनाना बहुत ही मुश्किल भरा है।