सीतापुर। नैमिषारण्य से पौराणिक 84 कोसी परिक्रमा शनिवार को ब्रह्म मुहूर्त में डंका बजते ही शुरू होगी। पुण्य व मोक्ष की कामना लेकर परिक्रमा में शामिल होने के लिए श्रद्धालु शुक्रवार से ही नैमिष पहुंचने लगे थे। नैमिष के विभिन्न आश्रमों में साधु-संतों व श्रद्धालुओं के डेरा जमा लिया था।
भजनों की स्वर लहरियों व रामधुन की करतल ध्वनि से वातावरण भक्तिमय बना रहा। परिक्रमा को लेकर प्रशासन भी मुस्तैद दिख रहा है। नैमिषारण्य की पावन धरा 84 कोसी परिक्रमा में शामिल होने के लिए आने वाले श्रद्धालुओं के स्वागत को तैयार हो गई है। लाखों श्रद्धालु शुक्रवार से ही नैमिष पहुंचने लगे थे। देर शाम तक श्रद्धालुओं का आगमन होता रहा। नैमिष में हर तरफ साधु-संतों व परिक्रमार्थियों की टोली नजर आ रही थी। …जय श्रीराम के उद्घोष से तीर्थ गुंजायमान होता रहा। अपनी-अपनी धुन में श्रद्धालु ढोल-मंजीरे पर भजन-कीर्तन करते हुए भक्ति रस में डूबे नजर आए।
शनिवार भोर चार बजे परिक्रमा समिति के अध्यक्ष नारायण दास के डंका बजाते ही श्रद्धालु परिक्रमा पथ पर निकल पड़ेंगे। 13 मार्च तक चलने वाली इस परिक्रमा में कोई हाथी-घोड़े के साथ तो कोई पैदल ही रामधुन में आगे बढ़ता दिखाई देगा। 15 दिनों तक चलने वाली 252 किलोमीटर की परिक्रमा में देश के अलावा विदेशों से भी श्रद्धालु आते हैं। परिक्रमा में कुल 11 पड़ाव हैं। पहले दिन नैमिष से रामादल अपने प्रथम पड़ाव कोरौना पहुंचेगा। कोरौना में श्रद्धालु डेरा डालेंगे। इसके बाद अगली सुबह दूसरे पड़ाव की ओर कूंच करेंगे। परिक्रमार्थियों के स्वागत के लिए प्रशासन ने भी तैयारियां पूरी कर ली हैं। वहीं नैमिषारण्य से कोरौना पड़ाव के बीच जगह-जगह स्थानीय लोग परिक्रमार्थियाें का स्वागत करते नजर आएंगे। लोग स्टॉल लगाकर रामादल को जलपान कराएंगे।