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लखनऊ: 14 करोड़ से बनेंगी सड़कें, नाली व फुटपाथ, जांच रिपोर्ट के बाद ही संबंधित ठेकेदार को होगा भुगतान

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Lucknow Municipal Corporation: लखनऊ शहर की सड़के जल्द ही चमकने वाली हैं। नगर निगम की परिधि में आने वाली इन सड़कों के अलावा नाली और फुटपाथ पर भी काम किए जाएंगे।

नगर निगम शहर में 14 करोड़ रुपये की लागत से सडक़, फुटपाथ, नाली व अन्य विकास कार्य कराएगा। इन कामों के लिए बजट पास हो गया है और सूची भी मंजूर हो गई है। कुछ कामों की टेंडर प्रक्रिया भी शुरू हो गई है और कुछ की होने वाली है। ऐसे में काम इसी महीने के अंत तक शुरू हो जाएंगे। नगर निगम के मुख्य अभियंता महेश वर्मा के मुताबिक शासन से 15वें वित्त मद से मिले बजट से 31 विकास कार्य कराए जाएंगे। इनमें पेवर व आरसीसी सड़कों के काम शामिल हैं। कामों की गुणवत्ता की राइट्स संस्था से जांच कराई जाएगी। संस्था की रिपोर्ट के बाद ही ठेकेदार को भुगतान किया जाएगा।

18 दिन और होंगे पार्षद कोटे के टेंडर, उसके बाद नहीं 
पार्षद कोटे से कराए जाने वाले कार्यों के टेंडर नवंबर के बाद नहीं किए जाएंगे। इसको लेकर मुख्य अभियंता पहले ही आदेश जारी कर चुके हैं। इन दिनों पार्षद कोटे से कराए जाने वाले कार्यों के टेंडर लगातार निकाले जा रहे हैं। हालांकि अब भी करीब 10 करोड़ रुपये की लागत से होने वाले कार्यों के टेंडर जारी नहीं हो पाए हैं। मुख्य अभियंता महेश वर्मा ने फिर से सभी जोनल अभियंताओं को निर्देश दिए हैं कि वे पार्षद कोटे के बचे कामों की टेंडर प्रक्रिया इसी महीने पूरी कर लें।

इंजीनियरों की कृपा से तन रहीं सील इमारतें
अवैध निर्माण को सील करने के बाद भी इमारतें बन जा रही हैं। गुलजारनगर, गोमतीनगर की सृजन विहार कॉलोनी और किसान पथ पर अवैध निर्माण सील किए जाने के बावजूद काम चलता पाया गया। यहां तक कि इमारतें बनकर तैयार हो गईं और लोग उन्हें खरीदकर रहने लगे। साफ है कि एलडीए के इंजीनियरों की मिलीभगत से यह सब हो रहा है।इंदिरानगर के चांदन में एलडीए की टीम ने मंगलवार को जिस पाम पैराडाइज टाइटल काॅलोनी में बने पांच मंजिला कॉम्प्लेक्स पर बुलडोजर चलाया, वहां पर सील बिल्डिंग में निर्माण कार्य जारी था। कॉम्प्लेक्स के अलावा यहां पर 88 रो हाउस बनाकर बेच दिए गए। ऐसे में जब मंडलायुक्त की नाराजगी के बाद एलडीए ने कार्रवाई शुरू की तो जिन लोगों ने मकान खरीदे हैं, वे न्यायालय की शरण में चले गए। अदालत से उनको स्टे मिल गया। बड़ा सवाल है कि 88 अवैध रो हाउस कैसे बन गए?

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