उन्नाव/बेहटामुजावार। छात्रों से मोटी रकम वसूलकर उन्हें फार्मा की फर्जी डिग्री देने के आरोप में पुलिस ने बेहटामुजावर थानाक्षेत्र के अटवावैक गांव में संचालित दुर्गा प्रसाद रामरूप एलोपैथिक फार्मेसी काॅलेज के प्रबंधक और प्रधान लिपिक को गिरफ्तार किया है। इन्होंने हरदोई के एक छात्र से डी-फार्मा के दो साल के कोर्स के लिए 1.80 लाख रुपये लिए। बाद में मुरादाबाद के एक विश्वविद्यालय की एक साल पहले की मार्कशीट दे दी। शक होने पर छात्र ने विश्वविद्यालय से आरटीआई के तहत जानकारी मांगी तो फर्जीवाडे़ का खुलासा हुआ।
हरदोई जिले के थाना कासिमपुर के गांव बेंहदर कला निवासी प्रशांत मिश्रा पुत्र सुभाष चंद्र मिश्रा ने बांगरमऊ सीओ अरविंद कुमार चौरसिया को 29 सितंबर को प्रार्थना दिया था। बताया कि दुर्गा प्रसाद रामरूप एलोपैथिक फार्मेसी काॅलेज में डी-फार्मा के लिए संपर्क किया था। अटवावैक गांव निवासी कॉलेज के प्रबंधक तेज कुमार और कॉलेज प्रधान लिपिक अवध प्रकाश ने दो साल के कोर्स के लिए प्रतिवर्ष 90 हजार रुपये फीस बताई। पहले साल की फीस जमा करके अक्तूबर 2021 को एडमिशन लिया था। दूसरे साल की फीस भी दो महीने बाद दिसंबर 2021 को जमा करा ली गई।
इसके बाद उसे कोर्स पूरा होने की जानकारी देते हुए आईएफटीएम यूनिवर्सिटी मुरादाबाद की डी-फार्मा प्रथम वर्ष 2018-19 और द्वितीय वर्ष 2019-20 की मार्कशीट भी दे दी। दो साल पुरानी मार्कशीट होने पर आपत्ति जताई तो प्रबंधक व लिपिक ने विद्यालय में ऐसा ही होने और डिग्री रखने की बात कहकर चलता कर दिया। मार्कशीट फर्जी होने का शक हुआ तो आरटीआई के जरिए सीधा यूनिवर्सिटी से सूचना मांगी तो प्रबंधन ने अप्रैल 2024 को जो जवाब दिया उससे मार्कशीट फर्जी निकली।
शिकायत पर सीओ ने बेहटामुजावर थाने में तैनात उपनिरीक्षक मोरमुकुट पांडेय से जांच कराई तो पता चला कि अटवावैक स्थित यह फार्मेसी कॉलेज बिना पंजीकरण के ही संचालित किया जा रहा है। सीओ ने बताया कि जानकारी मिली है कि आरोपी प्रबंधक और उसका कारखास लिपिक अब तक सैकड़ों बच्चों को इसी तरह से फर्जी मार्कशीट देकर भविष्य खराब कर चुके हैं। कॉलेज के अभिलेखों के माध्यम से जानकारी जुटाकर उनसे भी संपर्क किया जाएगा।
विरोध करने वालों को रकम लौटा चुप करा देते थे
बांगरमऊ सीओ ने बताया कि गांव में बिल्डिंग बनाकर फार्मेसी कॉलेज का बोर्ड लगाकर यह फर्जी प्रबंधक और इसका साथ लिपिक सैकड़ों युवाओं को दो से चार लाख रुपये में फर्जी डिग्री थमा चुके हैं। जांच के दौरान सामने आया है कि जिन युवाओं या उनके अभिभावकों ने पुलिस से शिकायत की उन्हें उनके रुपये वापस कर दोनों ने शांत करा दिया। वहीं तमाम ऐसे भी हैं जो खुद भी फंसने के डर से शिकायत करने की हिम्मत नहीं जुटा पाए।
ज्यादातर एडमिशन दूसरे जिलों के
पुलिस जांच में यह भी सामने आया है कि इस फार्मेसी कॉलेज के प्रबंधन से जुड़े लोग इतने शातिर हैं कि वह जिले के बजाए दूसरे जिलों के युवाओं को एडमिशन को प्राथमिकता देते थे। पूछताछ में बताया कि दूसरे जिले के लोग यहां आकर ज्यादा दबाव नहीं बना पाते हैं, जबकि जिले के लोग यहां के जनप्रतिनिधियों, अधिकारियों के माध्यम से शिकायत कराकर आसानी से कार्रवाई करा देते।