सीतापुर। शहर में राष्ट्रीय राजमार्ग पर कनाखेड़ा के पास बने ओवरब्रिज के साइड में लगे पत्थरों में कई जगह दरारें पड़ गईं हैं। मंगलवार को इन पत्थरों में दरार आने की सूचना मिलते ही हड़कंप मच गया। अधिकारियों से सवाल किया गया तो उन्होंने तत्काल इसे सही करवाना शुरू करवा दिया। अभी तक इस फ्लाईओवर का औपचारिक रूप से लोकार्पण नहीं हुआ है। इसके बावजूद बिना किसी रोक-टोक के भारी व हल्के वाहन धड़ल्ले से गुजरते हैं।
मंगलवार को मजदूर पत्थरों में पड़ी दरारें भरते नजर आए। मजदूरों ने बताया कि आठ से दस पत्थरों में दरारें आ गईं थीं, जिन्हें भर दिया गया है। उधर, ओवरब्रिज के आसपास के दुकानदार व स्थानीय नागरिक इसे एनएचएआई की गंभीर लापरवाही करार दे रहे हैं। लोगों का कहना है कि गुणवत्ता परक सामग्री का इस्तेमाल किया गया होता तो यह नौबत नहीं आती। पत्थर टूटने से गिर सकते हैं, इससे हादसा भी हो सकता है। एनएचएआई के अधिकारियों ने इस पर बयान देने से मना कर दिया।
2009 में मिली थी काम की मंजूरी, आई कई अड़चनें
वित्तीय वर्ष 2009-2010 में केंद्र से करीब 1900 करोड़ की लागत से सीतापुर-बरेली फोरलेन परियोजना को स्वीकृति मिली थी। वर्ष 2011 में एरा कंपनी ने निर्माण कार्य शुरू किया। इस परियोजना के पूरा होने की अनुमानित तिथि दिसंबर 2016 रखी गई। हालांकि इस समय सीमा तक यह काम पूरा नहीं हो सका। इसके बाद कंपनी को काली सूची में डाल दिया गया। इसके बाद एक अन्य कंपनी को इसे पूरा करने का उत्तरदायित्व सौंपा गया। वह कंपनी भी इस परियोजना को पूरा नहीं कर पाई। साल बीतते गए और बढ़ती महंगाई से परियोजना की लागत में इजाफा होता रहा। निर्माणाधीन हाईवे के अधूरे प्रोजेक्टों को पूरा करने के लिए एनएचएआई ने केंद्र से 91 करोड़ का विशेष पैकेज मांगा था। जिसे स्वीकृत किया गया। इसी बजट के अंश से कनवाखेड़ा बाईपास के इस हिस्से का निर्माण किया गया है।
धड़ल्ले से गुजरते हैं भारी वाहन
इस बाईपास का कोई औपचारिक उद्घाटन नहीं हुआ है। भारी वाहन धड़ल्ले से दिन रात निकलते रहते हैं। वहीं, पत्थरों मेंं आई दरारों ने लोगों की चिंता बढ़ा दी है।