बिजली विभाग ने विद्युत वितरण निगमों में सेमी टर्नकी के तहत आमंत्रित की जाने वाली निविदा की शर्तों में कुछ परिवर्तन किए हैं। कारपोरेशन का मानना है कि पारदर्शिता बढ़ेगी और निविदा में भाग लेने के लिए नए वेंडर को मौका भी मिलेगा। बता दें एक टर्नकी ऐसे प्रोजेक्ट होते हैं जिसे एक अनुबंध के तहत एक कंपनी द्वारा सभी सुविधाओं के साथ डिजाइन विकसित और सुसज्जित किया जाता है।
Abhigya Times, लखनऊ। यूपी पावर कारपोरेशन ने विद्युत वितरण निगमों में सेमी टर्नकी के तहत आमंत्रित की जाने वाली निविदा की शर्तों में कुछ परिवर्तन किए हैं। कारपोरेशन अध्यक्ष डॉ. आशीष गोयल ने निविदा शर्तों में किए गए बदलाव की जानकारी पूर्वांचल, मध्यांचल, दक्षिणांचल, पश्चिमांचल विद्युत वितरण निगम के साथ ही केस्को, कानपुर के प्रबंध निदेशकों के साझा करते हुए इसके अनुपालन का निर्देश दिया है।
कारपोरेशन का मानना है कि मौजूदा व्यवस्था से पारदर्शिता बढ़ेगी और निविदा में भाग लेने के लिए नए वेंडर को मौका भी मिल सकेगा। प्रतिस्पर्धा बढ़ने से काम की गुणवत्ता बढ़ेगी और पहले से जमे-जमाए वेंडरों का वर्चस्व भी समाप्त होगी, साथ ही रोजगार के अवसर भी बढ़ेगे। बता दें कि एक टर्नकी ऐसे प्रोजेक्ट होते हैं जिसे एक अनुबंध के तहत एक कंपनी द्वारा सभी सुविधाओं के साथ डिजाइन, विकसित और सुसज्जित किया जाता है।
तकनीक और वित्तीय आधार पर तय की गई हैं सेमी टर्नकी की शर्तें
सेमी टर्नकी की शर्तें तकनीक और वित्तीय आधार पर तय की गई है। शर्तों में तकनीकी आवश्यकता को स्पष्ट करते हुए कहा गया कि बाेलीदाता के पास वैध ‘ए’ का श्रेणी का विद्युत लाइसेंस होना चाहिए या उस वित्तीय वर्ष के लिए वह लाइसेंस प्राप्त करने के लिए किए गए आवेदन की प्रति भी प्रस्तुत कर सकता है। हालांकि शर्त यह होगी कि कार्य शुरू करने से पहले ‘ए’ श्रेणी का विद्युत लाइसेंस होना जरूरी है।
अब तक की व्यवस्था के अनुसार सिर्फ ‘ए’ श्रेणी के बोलीदाताओं को ही यह सुविधा हासिल थी। कार्य के अनुभव को तीन वर्ष से बढ़ाकर पांच वर्ष किया गया है। वहीं, वित्तीय आवश्यकताओं के तहत अब पिछले पांच वर्षों में से सर्वश्रेष्ठ तीन वर्षों के लिए न्यूनतम औसत कारोबार अनुमानित लागत का 100 प्रतिशत होगा। पहले यह 150 प्रतिशत था।