एक विश्वसनीय और सुरक्षित फ़ूड सप्लाई चेन किसी भी सरकार के लिए पब्लिक हेल्थ सेक्टर से जुड़ा सबसे बड़े मुद्दा होता है। तो आखिर इस समस्या का सोल्यूशन क्या है? आखिर किस तरह से सड़क पर मिलने वाले खाने को सुरक्षित बनाया जा सकता है? इसके लिए शोधकर्ताओं की डेनमार्क बेस्ड एक नॉन गवर्मेंट संस्था ने मार्च 2015 से जुलाई 2016 के बीच इनोएड के साथ मिलकर कोलकाता शहर में एक अध्ययन किया और पता लगाने की कोशिश की। उनके हिसाब से तीन तरीकों से ठेलों का खाना बेहतर किया जा सकता है।
- फाइन लगाकर
- ट्रेनिंग देकर
- रिवार्ड देकर
उन्होंने पाया कि सरकार द्वारा जुर्माना और प्रतिबंध वेंडर को सेफ और क़्वालिटी फ़ूड सप्लाई करने के लिए प्रोत्साहित तो करती है मगर यह काफी खर्चीला है और इसका कोई ख़ास असर भी नहीं पड़ता है। यानी कई बार इकठ्ठा किए गए डेटा से साफ था कि सरकारी नियमों को बदलने का समय आ गया है। ये भी पाया गया कि खाना किस तरह से खराब हो सकता है, उसके बारे में ठेले वालों की जानकारी बिल्कुल ना के बराबर थी। इसका एक और कारण ये भी हो सकता है कि स्ट्रीट फ़ूड का काम भारत में बहुत सस्ते में शुरू किया जा सकता है। ये बात एनसीईयूएस 2007, विश्व बैंक 2013 की एक रिपोर्ट में साफ़ होती है।
काफी समय तक वेंडर्स के साथ काम करके शोधकर्ताओं ने ये पाया कि अगर स्ट्रीट वेंडर्स को खाने का कच्चा माल सुरक्षित रखने की ट्रेनिंग दी जाती है तो इसका फ़ायदा देखने को मिलता है। ग्राहक को मिलने वाले साफ सुथरे खाने से उनकी कमाई और ग्राहक बढ़ते हैं।
हालांकि कभी-कभी साफ-सफाई के लिए जरूरी चीजें ठेले वालों के लिए महंगी पड़ती हैं और सभी चीजों को इस्तेमाल करना उनके लिए कठिन होता है। ऐसे में अगर डिमांड साइड की तरफ देखें तो सड़क पर खाने वालों को भी यह पता लगाना लगभग नामुमकिन होता है कि कौन सा खाना उनको पेट की या कोई और बीमारी दे देगा। इसलिए ठेले वालों को भी हेल्दी खाना बेचने की ज्यादा चिंता नहीं होती है।
यहां सरकार को पहल करनी होगी। वेंडर्स के पास साफ़ पानी, कचरे का निपटारा और बिजली जैसी कई महंगी बुनियादी सुविधाओं की कमी है। इसके लिए लोकल अधिकारियों की सक्रिय भूमिका महत्वपूर्ण है। साथ ही सरकार को इन ठेले वालों की ज़रूरतों पर भी ध्यान देना होगा, इससे उनका तो फ़ायेदा होगा ही, देश में हर साल हेल्थ पर होने वाले खर्च पर भी फ़र्क़ पड़ेगा।
Assistant Professor, University of Milan; Executive Director, CLEAN, Bocconi University
Sulagna Mookerjee
Assistant Professor of Economics, Binghamton University (SUNY)
Denni Tommasi
Assistant Professor, Monash University