उन्नाव। 30 हजार रुपये की घूस लेते दो लिपिकों को गिरफ्तार करने वाली विजिलेंस टीम ने कई अभिलेख भी कब्जे में लिए हैं। चर्चा है कि जांच में विभाग के कई और जिम्मेदार भी फंस सकते हैं।
लिपिकों की गिरफ्तारी के बाद घूस मांगने की कॉल रिकाॅर्डिंग भी सोशल मीडिया पर वायरल हुई है। इसमें पीड़ित दुकानदार लाल सिंह से जीजीआईसी के बाबू से भुगतान के नाम पर पहले भी 24 हजार रुपये लिए थे। इसमें दो बार में 10-10 और एक बार में चार हजार रुपये लिए गए थे। इसके बाद भी भुगतान नहीं हुआ और दोबारा फिर भुगतान के नाम पर 30 हजार रुपये मांगे जा रहे थे। रिकॉर्डिंग में यह भी है कि भुगतान के एक जिम्मेदार अधिकारी बिना लिए फाइलों पर हस्ताक्षर ही नहीं करते हैं। फिलहाल अमर उजाला वायरल रिकॉर्डिंग की पुष्टि नहीं करता है।
उन्नाव। पीड़ित लाल सिंह के अनुसार, भुगतान न होने पर जीजीआईसी की प्रधानाचार्य से भी मिला था और भुगतान कराने के लिए कहा था, लेकिन बात नहीं बन पाई थी। रिकार्डिंग में जीजीआईसी कार्यालय का लिपिक अमित भारती कह रहा है कि डीआईओएस कार्यालय के बाबू अमित कुमार ने आठ बिलों को तीन भागों में विभाजित कर मंगाया है, ताकि आसानी से वह हस्ताक्षर करा सकें। जीजीआईसी के लिपिक ने भुगतान से पहले ही घूस की रकम देने के लिए कहा था।
उन्नाव। विजिलेंस टीम के छापे के बाद डीआईओएस कार्यालय के स्टॉफ में खलबली मच गई। स्थिति यह थी कि कई बाबू सीट छोड़कर भाग निकले। यहां तक कि कार्यालय से जुड़े लोगों ने अपने फोन भी बंद कर लिए थे। कोई कुछ बताने को तैयार नहीं था, टीम के जाने के बाद चर्चाएं होती रहीं। हकीकत पर्त दर पर्त खुलकर सामने आई। चर्चा यह भी रही कि भुगतान के नाम पर घूस मांगने का यह पहला मामला नहीं है। जिस पटल का काम यह दोनों बाबू देखते हैं, वहां बिना रुपये किसी का काम आगे नहीं बढ़ता था।