यूपी सरकार ने शिक्षकों के लिए ऑनलाइन हाजिरी का नियम लागू किया है जिसका शिक्षक विरोध भी कर रहे हैं। इस ओर भी ध्यान देने की जरूरत है कि ग्रामीण क्षेत्रों के तमाम ऐसे विद्यालय हैं जहां पहुंचना आसान नहीं है। स्कूलों तक पगडंडी तो कहीं कच्चे रास्ते से होकर जाता पड़ता है। बारिश में हालात और भी बिगड़ जाते हैं।
Abhigya Times। रायबरेली। परिषदीय विद्यालयों में शिक्षकों को निर्धारित समय में आनलाइन हाजिरी दर्ज करानी है। ग्रामीण क्षेत्रों के तमाम ऐसे विद्यालय हैं, जहां पहुंचना आसान नहीं है। स्कूलों तक पगडंडी तो कहीं कच्चे रास्ते से होकर जाता पड़ता है। बारिश में हालात और भी बिगड़ जाते हैं। कीचड़ और जलभराव से होकर स्कूल तक पहुंच आनलाइन उपस्थिति दर्ज कराना किसी चुनौती से कम नहीं है। बारिश होने पर अभिभावक भी बच्चों को स्कूल भेजने में डरते हैं। यही नहीं शिक्षक भी इन बदहाल मार्गों से होकर स्कूल जाने से कतराते हैं।
केस एक
रोहनिया के प्राथमिक विद्यालय गौसपुर में 23 बच्चों का नामांकन है। इंचार्ज, दो सहायक अध्यापक समेत तीन शिक्षक तैनात है। यहां पूरे बेचू, गौसपुर, पूरे बल्दू, गांव के बच्चे पढ़ने के लिए आते हैं। विद्यालय आने के लिए एक मात्र मुख्य मार्ग है। इसे 20 वर्ष पहले एनटीपीसी की ओर से बनवाया गया था। जो पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गया है। जगह-जगह गड्ढे हो गए हैं। बरसात के समय आवागमन बाधित रहता है। बच्चों को विद्यालय आने में बहुत ही परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
केस दो
डीह के प्राथमिक विद्यालय पूरे टोड़ी जाने वाला मार्ग कच्चा होने के कारण बारिश के समय जलभराव रहता है। इसमें आएदिन स्कूल जाने वाले बच्चे व शिक्षक गिरकर चोटिल होते हैं। कई बार ग्रामीणों ने मार्ग सही करवाने की मांग की, लेकिन अब तक मार्ग नहीं सही कराया गया। प्राथमिक विद्यालय परिसर में भी बरसात की वजह से जगह जगह जलभराव है। विद्यालय परिसर में अधूरी पड़ी इंटरलाकिंग की वजह से बच्चों व शिक्षकों को जलभराव से होकर जाना पड़ता है। चार दिन पूर्व जलभराव के कारण प्रधानाध्यापिका तपस्या पुरवार गिरकर चोटिल हो गई थी।
केस तीन
शिवगढ़ के प्राथमिक विद्यालय महिमापुर में कुल 29 छात्र हैं। तीन अध्यापक हैं। नौ वर्ष पहले महिमापुर में प्राथमिक विद्यालय तो संचालित हो गया, लेकिन यहां तक आने जाने का रास्ता कच्चा है। इससे बारिश के दिनों में छात्रों व अध्यापकों को इसी रास्ते से होकर आना जाना मजबूरी है। विद्यालय के सहायक अध्यापक संतबक्स सिंह ने बताया कि दो वर्ष से यह विद्यालय नगर पंचायत में शामिल हो गया। उसके बाद भी खड़ंजा तक नहीं लग सका। कई बार अफसरों को पत्र भेजकर पीड़ा बताई गई, सिर्फ आश्वासन मिला।