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Wolf Attacks: हमलों से साफ है, अब तक नहीं पकड़े गए असली आदमखोर भेड़िये; साथी को बचाने के लिए दे देते हैं जान

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यूपी में विलुप्तप्राय भेड़िये इंसानी जान के लिए संकट बने हुए हैं। इनके हमले में मार्च 2024 से अब तक बहराइच में नौ बच्चों और महिला की मौत हुई है। साथ ही सीतापुर, पीलीभीत और हस्तिनापुर में भी भेड़ियों ने आतंक मचा रखा है। बड़ी मशक्कत के बाद बहराइच से चार भेड़िये पकड़े गए हैं।

इसके बाद भी इंसान और भेड़ियों के बीच जारी संघर्ष से अंदेशा लगाना मुश्किल नहीं है कि असली हमलावर अब तक पकड़ में नहीं आए हैं। विशेषज्ञों का भी मानना है कि इंसानों को शिकार बनाने वाले असली भेड़िये अभी तक पकड़े नहीं गए हैं। लिहाजा, स्थानीय प्रशासन और वन विभाग को ज्यादा संजीदगी के साथ अभियान चलाने की जरूरत है।

बेहद शर्मीला जानवर है भेड़िया
बार-बार सवाल उठ रहा है कि भेड़िये आदमखोर क्यों हो रहे हैं? क्या इनकी संख्या बढ़ रही है? दुधवा टाइगर रिजर्व में फील्ड डायरेक्टर व वन्यजीव विशेषज्ञ संजय पाठक के मुत्ताबिक, भेड़िया बेहद शर्मीला जानवर है। ये इंसान को देखते इतना तेजी से भाग जाता है कि इनकी फोटोग्राफी करना भी आसान नहीं होता है। यह इंसानों की तरह झुंड में रहता है। अगर शिकार के बाद कोई एक सदस्य इधर-उधर गुम हो जाए तो बाकी सदस्य उसको खोज निकालने तक शिकार को छूते तक नहीं हैं।

संजय पाठक बताते हैं कि ये इंसानों पर तभी हमला करते हैं, जब बाढ़, मांद में पानी घुस आने या अन्य किसी कारण से इन्हें अपना प्राकृतिक वास छोड़ना पड़ता है और इस प्रक्रिया में कहीं उनकी जद में इंसान का कोई बच्चा आ जाता है। उसके बाद बच्चों पर हमला करने की प्रवृत्ति बढ़ती जाती है। अगर इंसान भेड़ियों के झुंड के किसी सदस्य को मार देता है तो भी उनके अंदर बदले की भावना घर कर जाती है और वे हमला करने लगते हैं।

वन्यजीव विशेषज्ञ बताते हैं कि आम तौर पर देखा गया है कि झुंड का कोई एक सदस्य इंसान के बच्चे पर हमला करता है। भेड़िया जो मांस खुद खाता है, बाद में उसे उल्टी करके अपने बच्चों को खाने के लिए निकाल देता है। इस तरह से उस झुंड के सदस्यों को इंसान का मांस खाने का चस्का लग जाता है। यही आदमखोर प्रवृत्ति इंसानों के लिए खतरा बन जाती है।

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